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कविता

तलाश एक अदद मुद्दे / मुर्दे की

जसबीर चावला


न आटे की जरूरत
न आग / तवे की
शेप / साइज की चिंता
न गूँथना पड़े / न बेलना
न वक्त का तकाजा
कभी भी / कहीं भी

लाशों पर / चिता पर
सेना के हथियारों पर
किसानों की जमीनों पर
शिक्षा पर / स्वास्थ पर
गरीबों के निवाले / मिड डे मील
हर मुद्दे / बे मुद्दे पर

कोई दल / बेदल
किसी रंग का
डाल गले में
राजनीतिक पट्टा / झंडा
किसी पल / किसी मुद्रा
कूद कर / खुश होकर
किलकारी मार / बजा ताली
जाजम बिछा सकता है
पार्टी को
जिमा / जिता सकता है
माहौल गर्मा सकता है

नोच सकता है
जिस्म से बोटियाँ
सेंक सकता है
राजनी्तिक
रोटियाँ

 


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